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Sunday, September 25, 2016

एक खत

विदेश कैसा है बेटा,
कैसे है वहाँ के नागरिक,
कैसा है वहाँ की व्यवस्था,
सामाजिक व आर्थिक,
यहाँ पर सब सामान है,
वैसे ही बिगड़े से हालात है,
कुछ लोग फिर से काटे गए है कौम के नाम पे,
और धर्म का रक्षक अपने पाप धो रहा है,
बाकी तुम्हारा भाई बिट्टू सो रहा है,
माँ खाना बना रही है,
और बाकी सब सही है|

अनपढो को देश की समझ नहीं,
और पढ़े लिखे देश के खिलाफ है,
सैनिक मर रहे है सीमा पर,
और उनको गाली बकने वालो को बचा रहा इन्साफ है,
देश की हालात खस्ता है,
जीना यहाँ महँगा और मरना सस्ता है,
और हाँ बगल वाले चाचा का लड़का दंगो में मारा गया,
और वो वृद्ध बेचारा अब भी उसकी मौत पे रो रहा है,
बाकी तुम्हारा भाई बिट्टू सो रहा है,
माँ खाना बना रही है,
और बाकी सब सही है|

शहीद सैनिक की मौत पे ए मौहल्ले के कुछ लोग,
और आतंकी के जनाजे में  जमावड़ा था,
खुद सब उस कुल्हाड़ी को बचने आ गए,
जिस कुल्हाड़ी से देश रुपी पेड़ को बचाना था,
मीडिया तक बना रही खलनायको को नेता,
देश के युवक के हाल तुम्हे क्या बताऊ बेटा,
मातृभूमि के खिलाफ बोल कर,
सुनहरे भविष्य के सपने संजो रहा है,
बाकी तुम्हारा भाई बिट्टू सो रहा है,
माँ खाना बना रही है,
और बाकी सब सही है|

समृद्ध जनता मांग रही आरक्षण है,
विकसित बुद्धिजीवी ही कर रहे देशप्रेम का भक्षण  है,
विश्विद्यालय में लग रहे दुश्मन देश के नारे है,
जो कभी अपने साथियो की मौत पे न रोये,
वो सैनिक सबके सामने रो रहे बेचारे है,
देश की उन्नति पे किसी का ध्यान नहीं,
और बेफिसूल के मुद्दों में संसद का समय व्यक्त हो रहा है ,
बाकी तुम्हारा भाई बिट्टू सो रहा है,
माँ खाना बना रही है,
और बाकी सब सही है|

Monday, September 12, 2016

सिर्फ तुझे ही इज़ाज़त है

चाँद  पालो  में  हँसाने  की ,
आँखों  में  नमी  लाने  की ,
ज़हन  में  रंग  भरने  की ,
ज़िन्दगी  सुनी  कर  जाने  की ,
सिर्फ  तुझे  ही  इज़ाज़त  है|

मुझे  खुद  से  अलग  कर  जाने  की ,
मुझे  मेरे  से  मिलाने  की ,
मुझे  बदलने  की ,
मुझे  बनाने  की ,
सिर्फ  तुझे  ही  इज़ाज़त  है|

मेरा  सब  कुछ  छीन  लेने  की ,
मुझे  सब  कुछ  दे  जाने  की ,
तेरे  हर  शिकवे  मुझपे  बरपाना ,
और  मेरी  हर  ख्वाहिश  अपनाने  की ,
सिर्फ  तुझे  ही  इज़ाज़त  है|

मेरी  ज़िन्दगी  में  दखलंदाज़ी  की ,
मुझमे  बिफ़िक्र  खराबी  की ,
मुझपे  बेइंतिहां  रौब  जमाना ,
मुझसे  अन्न  बन  हाज़िरजवाबी  की ,
बस  तुझे  ही  इज़ाज़त  है|

मलय 

अब तुम ही बताओ ये भी क्या कोई बात हुई

अब  तुम  ही  बताओ  ये  भी  क्या  कोई  बात  हुई ,
अब  मेरे  सवालो  का  जवाब  दे  सका  है  क्या  कोई ,
समुन्दर  नीला  ही  है ,
तो  सफ़ेद  लहरें  क्यों  हुई ,
और  लहरें   सफ़ेद  है  तो ,
अलग  रंग  की  क्यों  रेत  हुई ,
अब  बताओ  ये  भी  कोई  बात  हुई ,
ऐसी  भी  क्या  मुठभेड़  हुई|

अब  तुम  ही  बताओ  ये  भी  क्या  कोई  बात  हुई ,
अब  मेरे  सवालो  का  जवाब  दे  सका  है  क्या  कोई ,
बहता  पानी  है  अगर ,
तो  सपने  क्यों  रुके  है ,
खुली  आँखें  है  अगर ,
तो  आसूं  पलकों  के  पीछे  क्यों  छुपे  है ,
रुके  है , छुपे  है ,
खड़े  है  इंसान  सब  सीधे ,
पर  हौसले  सबके  क्यों  झुके  है ,
अब  क्यों  सपनो  और  हौसलो  की  न  कभी  कोई  सौगात  हुई ,
तुम  ही  बताओ  मेरे  यारो ,
ये  भी  क्या  कोई  बात  हुई |

अब  तुम  ही  बताओ  ये  भी  क्या  कोई  बात  हुई ,
अब  मेरे  सवालो  का  जवाब  दे  सका  है  क्या  कोई ,
सड़क  यु  भीछि  क्यों  है ,
और  राही  हमेशा  क्यों  चलता  रहता  है ,
क्यों  मंज़िल  कभी  मिलती  नहीं ,
क्यों  सड़क  कभी  रास्ता  बनती  नहीं ,
पर  सवाल  ये  नहीं  है  मेरे  भाइयो ,
सवाल  तो  है  क्यों  राही  सड़क  को  मंज़िल  बनाता  नहीं ,
क्यों  वो  रह  को  मंज़िल  समझ  सजता  नहीं ,
क्यों  आखिर  उसको  इस  सड़क  से  यु  बेरुखी  हुई ,
अब  तुम  ही  बताओ  ये  भी  क्या  कोई  बात  हुई ,
अब  मेरे  सवालो  का  जवाब  दे  सका  है  क्या  कोई |

मलय 

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