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Saturday, May 16, 2015

परीक्षा जिंदगी की ..............

जब से परीक्षा वाली
जिंदगी पूरी हुई है,
तब से जिंदगी की परीक्षा
शुरु हो गई है..
किताब लेकर...
रोज मैं ढूँढती हूँ जवाब.....
जिंदगी है क़ि रोज...
'सिलेबस' के बाहर से ही पूछती है..

Monday, May 11, 2015

एक छोटी कविता‬

जिंदगी में हर वो शक्स परेशान है,
जिसे ख़ुद पर भरोसा नहीं,
और रखता वो उमीदों कि दुकान है....
ऐ, ज़िंदगी के मुसाफिर!
रखले ख़ुद पे विश्वास जरा,
खुश रहा तो जी लिया, नहीं तो,
कोई नहीं पूछेगा,
अगर तू कल का मरता आज मरा !!!!
~ जस्मीत 

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